Yaatri

One,who has completed the journey!!

Tuesday, April 10, 2012

कबूतर का जोड़ा !!

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"मेरे घर की बाल्कनी में  एक कबूतर का जोड़ा रहता था", देखा है मैंने एक एक तिनका  बटोर के उन्हे  घोंसला बनाते हुए, चोंच से चोंच लड़...
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Tuesday, March 08, 2011

तोते उड़ गये !!!!

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और उसके  हाथ से उड़ गये तोते, उसने झड़क के खाली हाथों को, बजा के ताली रुखसत दी है , हवा में उड़ते  तोतों को... - यात्री :)
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Saturday, October 30, 2010

My Poem : I laugh :)

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I laugh ,  when they think they are Clever. I laugh ,  when they think they are Stupid. I laugh ,  when they think they are Rich. I laugh ,...
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Tuesday, October 26, 2010

My Poem : सरकती रेत !!!

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मुट्ठी में जो रेत है, सरक रही है धीरे धीरे दिखता है सबको, और साथ ही कसती जाती है मुट्ठी  सरकती रेत को रोकने के लिए, रेत तो सारी शर्तिया सरक...
Saturday, September 18, 2010

My Poem : उफान !!!

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नदिया उफान मारती रहेगी जब तक ना मिलेगी समंदर से, किसी ने देखा है  समंदर में घुली नदी को मारते उफान... - यात्री
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Wednesday, September 15, 2010

My Poem :सारे रास्ते...

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सारे रास्ते जा रहे हैं मंज़िलों को, चुनो वो जिसमे रस हो .. - यात्री
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Friday, September 10, 2010

My Poem : और एक दिन !!!

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और एक दिन  ईश्वर   खुद आता है दरवाजे पे तुम्हारे पूछने "बोलो क्या चाहिए तुम्हे..?? " और हम सब हर बार माँग ही लेते हैं कुछ ना कुछ.....
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Ajay Kr Saxena
New Delhi, New Delhi, India
Computer Science grad from IT-BHU, Varanasi.
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