Thursday, February 05, 2009

Sufi Poem : Five senses


तुम्हारी पाँचों ज्ञानेन्द्रियाँ
जो कुछ भी
बोल
देख
सुन
चख
या
 स्पर्श 
कर  पाती हैं
वो सब "खुदा" है
तुम्हारी पाँचो ज्ञानेन्द्रियाँ जिसे
बोल
देख
सुन
चख
और
 स्पर्श 
करके भी
बयान नही कर पाती
 वो " तुम" हो

- यात्री
© Ajay Kr Saxena

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