Saturday, April 18, 2009

Poem :: Padchinho ki shrinkhlaa


दूर दूर तक जब धुंधला दीखता है
एडियाँ दर्द से बोझिल हो जाती है
और सर झुक कर घुटनों तक आ जाता है ,
एक बार तो मन लालायित हो उठता है 
लौट चलने को ,
लेकिन जब मैं मुड़ता हूँ
तो दूर तक फैली 
मेरे पदचिन्हों की
एक लम्बी खूबसूरत श्रंखला
मुझे पूरे जोश  के साथ
"Thumbs Up"
करके "Cheer" करती हैं...
मैं रीड की हड्डी सीधी कर
अगला कदम बढ़ा लेता हूँ

-यात्री
© Ajay Kr Saxena

Saturday, April 11, 2009

There will be you !!!


You are going THERE.
There will be so many intelligent HEADS.
&
There will be YOU!!!

-yaatri
© Ajay Kr Saxena

Tuesday, April 07, 2009

Tum sayaane ho !!!

उफ़ कितना दर्द है तुम्हारे जोडो में
तुम दिन - रात कितनी मसक्कत करते हो,
आँखें भी थकी थकी सी हैं
खुलने भर की भी हिम्मत नहीं,
सांस फूल के कुप्पा हो गई है
तुम कितनी देर से चक्कर लगा रहे हो,
ख्वाब भी नहीं बुन पाते हो अब
तुम नींद का पैग लगाने के बाद भी,
हर तरफ  लोग विरुद्ध है तुम्हारे
तुम बेवजह लड़ लड़ के परेशां हो,
.............
.............
ये सब बातें सुनी-कहीं सी लगती है न,
उम्मीद करता हूँ तुम जानते हो 
ये सब बहाने हैं,
और तुम
इस सब बहानो से भी सयाने हो

-यात्री 
© Ajay Kr Saxena

Another passing quote !!!


Those who lead a luxurious life, Preach.
Those who don't, Listen.

-Yaatri
© Ajay Kr Saxena

Friday, April 03, 2009

An excerpt from OSHO WORLD , April 09 issue ! !!

While reading OSHO World's latest (April) edition , I found a simple yet beautiful excerpt, which can dispel all the dogmas and theories.I am sharing that with my audience 

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दो वृद्ध , एक पार्क में , पास पास की बेंच पर लेटें हैं | 
उनमें से एक पुराना अखबार पढ़ रहा है , " इसमें एक हैल्थ रिपोर्ट  छापी है , जिसमें लिखा है की हंसते समय हमारी १०० से भी अधिक मांसपेसियों का  व्यायाम होता है "
"ये लोग भी अजीब हैं |" दूसरे ने कहा "... हर चीज़ का मजा ख़तम कर देते हैं..... "
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-यात्री 
© Ajay Kr Saxena