Tuesday, April 10, 2012

कबूतर का जोड़ा !!


"मेरे घर की
बाल्कनी में 
एक कबूतर का जोड़ा रहता था",
देखा है मैंने
एक एक तिनका 
बटोर के उन्हे 
घोंसला बनाते हुए,
चोंच से चोंच
लड़ा के प्रेम प्रसंग करते,
और कभी कभी
खिड़की से झाँक के पाया है 
उन्हे एक दूसरे पे चढ़ के
काम क्रीड़ा करते भी,
कितनी बार 
उनकी गुटर-गूँ के शोर 
ने तोड़ी हैं दोपहरें मेरी,
अंडे सेते समय
बैठी उस कबूतर की
मोतियों सी आँखें,
अभी तक वैसे ही 
टिमटिमाती है जहन में मेरे,
२ से ३ हुआ था
कबूतर वर्ल्ड ,
जब हम भी २ से ३ हुए थे.
फिर मौसम बदला
सरकार बदली
ट्रान्स्फर हुआ
और 
हम नये शहर में 
आ गये,
वो कबूतर का जोड़ा
अभी भी पुराने घर
पे गुटर-गूँ करता है,
गली के लोगों ने सुना है
कबूतरों को कहते हुए

"मेरे घर की
चहारदीवारी में 
एक आदम का जोड़ा रहता था,
...................
....................
.............
"

-यात्री

Tuesday, March 08, 2011

तोते उड़ गये !!!!



और उसके 
हाथ से उड़ गये तोते,
उसने झड़क के
खाली हाथों को,
बजा के ताली
रुखसत दी है ,
हवा में उड़ते 
तोतों को...

- यात्री :)

Saturday, October 30, 2010

My Poem : I laugh :)


I laugh , 
when they think they are Clever.
I laugh , 
when they think they are Stupid.
I laugh , 
when they think they are Rich.
I laugh , 
when they think they are Poor.
I laugh , 
when they think they are a Success.
I laugh , 
when they think they are a Failure.
I laugh , 
when they think.
I laugh , 
when they don't think.
I laugh , only to laugh.

- Yaatri 

Tuesday, October 26, 2010

My Poem : सरकती रेत !!!


मुट्ठी में जो रेत है,
सरक रही है धीरे धीरे
दिखता है सबको,
और साथ ही
कसती जाती है मुट्ठी 
सरकती रेत को रोकने के लिए,
रेत तो सारी
शर्तिया सरक जानी है 
जिससे मुक्त हो सके
हाथ तुम्हारे,
जुड़ने के लिए,
झुकने के लिए,
प्रभु के आलिंगन के लिए,
Choice तुम्हारी है
मुट्ठी और कस लो,
या
एक झटके में खोल दो... 

- यात्री

Saturday, September 18, 2010

My Poem : उफान !!!

नदिया उफान मारती रहेगी
जब तक ना मिलेगी
समंदर से,
किसी ने देखा है 
समंदर में घुली नदी
को मारते उफान...

- यात्री

Wednesday, September 15, 2010

My Poem :सारे रास्ते...

सारे रास्ते जा रहे हैं
मंज़िलों को,
चुनो वो
जिसमे रस हो ..

- यात्री

Friday, September 10, 2010

My Poem : और एक दिन !!!

और एक दिन 
ईश्वर 
खुद आता है
दरवाजे पे तुम्हारे
पूछने
"बोलो क्या चाहिए तुम्हे..??"
और हम सब
हर बार माँग ही लेते हैं
कुछ ना कुछ.. 

-यात्री :)