दूर दूर तक जब धुंधला दीखता है
एडियाँ दर्द से बोझिल हो जाती है
और सर झुक कर घुटनों तक आ जाता है ,
एक बार तो मन लालायित हो उठता है
लौट चलने को ,
लेकिन जब मैं मुड़ता हूँ
तो दूर तक फैली
मेरे पदचिन्हों की
एक लम्बी खूबसूरत श्रंखला
मुझे पूरे जोश के साथ
"Thumbs Up"
करके "Cheer" करती हैं...
मैं रीड की हड्डी सीधी कर
अगला कदम बढ़ा लेता हूँ
-यात्री
© Ajay Kr Saxena