Tuesday, April 10, 2012

कबूतर का जोड़ा !!


"मेरे घर की
बाल्कनी में 
एक कबूतर का जोड़ा रहता था",
देखा है मैंने
एक एक तिनका 
बटोर के उन्हे 
घोंसला बनाते हुए,
चोंच से चोंच
लड़ा के प्रेम प्रसंग करते,
और कभी कभी
खिड़की से झाँक के पाया है 
उन्हे एक दूसरे पे चढ़ के
काम क्रीड़ा करते भी,
कितनी बार 
उनकी गुटर-गूँ के शोर 
ने तोड़ी हैं दोपहरें मेरी,
अंडे सेते समय
बैठी उस कबूतर की
मोतियों सी आँखें,
अभी तक वैसे ही 
टिमटिमाती है जहन में मेरे,
२ से ३ हुआ था
कबूतर वर्ल्ड ,
जब हम भी २ से ३ हुए थे.
फिर मौसम बदला
सरकार बदली
ट्रान्स्फर हुआ
और 
हम नये शहर में 
आ गये,
वो कबूतर का जोड़ा
अभी भी पुराने घर
पे गुटर-गूँ करता है,
गली के लोगों ने सुना है
कबूतरों को कहते हुए

"मेरे घर की
चहारदीवारी में 
एक आदम का जोड़ा रहता था,
...................
....................
.............
"

-यात्री

1 comment:

Arpit said...

Tote udaane ke ek saal baad apke kabutar ke jode se milke acha laga.. :)