Sunday, September 20, 2009

पूछा था उसने !!!



मेरे रुखसत के बख़त
पूछा था उसने,
" जा रहे हो जाने के लिए ? "
या
" जा रहे हो आने के लिए ? "

तमाम दिन अब तो जल चुके है सूरज के तले
लेकिन हर रात
उसके वो आख़िरी लफ्ज़
टिमटिमाते हैं जहन में तारों की तरह.

" जा रहे हो जाने के लिए ? "
या
" जा रहे हो आने के लिए ? "

मैं रोज़ दर रोज़
करवट बदल,आँखों को ढक सो जाता हूँ.
फिर भी,
कभी कभी,
देर रात पाया है मैंनै
खुद को खड़े हुए
ड्योढ़ी पे.
- यात्री

5 comments:

Upasthit said...

sunder... khaas kar dhyodi ekdam sateek hai...

Himanshu Pant said...

sexy is the word....go on....take time out to write a ballad now....the end line takes the cake....

ashnuta said...

Nice poem...i find it very touching

Yayaver said...

'Usne Kaha ttha' kahani yaad aa gayi is kavita ko pad ke. Naa jane kyon...

Nameless... fameless!! said...

lovely one !!