Sunday, May 30, 2010
Thursday, May 27, 2010
यूँ ही , बेवजह :)
मैं कुछ कुछ करता रहता हूँ,
यूँ ही , बेवजह.
जाने कैसे वो पूरा कर देता है
मेरे "कुछ - कुछ " को,
यूँ ही, बेवजह
- यात्री
Wednesday, May 19, 2010
One passing Sufi Thought :)
एक किलो में , रत्ती भर भी मिला दो , कुछ भी. फिर "किलो" , "किलो" नही रहता - यात्री :)
Monday, May 17, 2010
Poem : बिखरे हुए !!!! :)
तुम क्यों हैरान हो
देख कर,
बिखरे हुए
मेरे रास्तों को,
बिखरी हुई
मेरी मंज़िलों को,
बिखरे हुए
मेरे पद-चिन्हों को,
बिखरे हुए
मेरे होश-ओ-हवाश को,
बिखरी हुई
मेरी समझदारी को,
बिखरी हुई
मेरी नादानी को,
बिखरे हुए
मेरे आँसुओं को,
बिखरी हुई
मेरी मुस्कुराहट को,
बिखरे हुए
मेरे फ़ैसलों को,
बिखरी हुई
मेरी ग़लतियों को,
बिखरे हुए
मेरे एहसासों को,
और
बिखरे हुए
मेरे हर एक अंदाज़ को,
मेरे उस "खुदा' के राज में
मेरे उस "खुदा' के राज में
सब कुछ सिर्फ़ बिखरा हुआ है
बड़े करीने से
-यात्री
Sunday, May 09, 2010
Thursday, May 06, 2010
कोरा काग़ज़
एक बिल्कुल सुफेद कोरा काग़ज़
मिल गया है मुझे,
आनद सा महसूस होता है
कहीं ज़हन में मेरे,
कोरा देखे कुछ भी
कई बरस जो गये,
हा हा हा हा ..
तुम लेकिन नही सुधरोगे कभी,
तुम फिर से कलम
डुबोने लगे हो दवात में ........
- यात्री
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