तुम क्यों हैरान हो
देख कर,
बिखरे हुए
मेरे रास्तों को,
बिखरी हुई
मेरी मंज़िलों को,
बिखरे हुए
मेरे पद-चिन्हों को,
बिखरे हुए
मेरे होश-ओ-हवाश को,
बिखरी हुई
मेरी समझदारी को,
बिखरी हुई
मेरी नादानी को,
बिखरे हुए
मेरे आँसुओं को,
बिखरी हुई
मेरी मुस्कुराहट को,
बिखरे हुए
मेरे फ़ैसलों को,
बिखरी हुई
मेरी ग़लतियों को,
बिखरे हुए
मेरे एहसासों को,
और
बिखरे हुए
मेरे हर एक अंदाज़ को,
मेरे उस "खुदा' के राज में
मेरे उस "खुदा' के राज में
सब कुछ सिर्फ़ बिखरा हुआ है
बड़े करीने से
-यात्री
2 comments:
awe-fucking-sum.. :))
Post a Comment