Monday, July 12, 2010

Jeete raho... :)


जीते रहो...
पीते रहो...
ज़िंदगी की टपकती बूँदों को...
कोई शर्त तो नही...
पर ना जाने कब
कौन सी बूँद
मिटा दे प्यास तुम्हारी, सदा सदा के लिए....

- यात्री

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