Yaatri
One,who has completed the journey!!
Thursday, May 06, 2010
कोरा काग़ज़
एक बिल्कुल सुफेद कोरा काग़ज़
मिल गया है मुझे,
आनद सा महसूस होता है
कहीं ज़हन में मेरे,
कोरा देखे कुछ भी
कई बरस जो गये,
हा हा हा हा ..
तुम लेकिन नही सुधरोगे कभी,
तुम फिर से कलम
डुबोने लगे हो दवात में ........
- यात्री
1 comment:
Arpit
said...
Meri copy kora kagaj.. Kori hi reh gyi.. :P
May 6, 2010, 10:49:00 PM
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1 comment:
Meri copy kora kagaj.. Kori hi reh gyi.. :P
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