Wednesday, August 11, 2010

My Poem : सिर !!!

हम सब के सिर पे
एक सिर है,
जिनके सिर पे 
कोई सिर नही है
उन्होने किसी 
काल्पनिक सिर को 
अपने सिर पे 
बिठा लिया है,

सिर के ऊपर सिर 
की क्या ज़रूरत है ???

- यात्री

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