Friday, August 27, 2010

My Poem : असलियत !!

पर्वत 
जानकार असलियत अपनी
चल नही देते छूने आसमानों को,
सागर
जानकार असलियत अपनी
नही बहने लगता तोड़ कर किनारों को,
सूरज
जानकार असलियत अपनी
नही बरसाने लगता अंगारों को,
फूल
जानकार असलियत अपनी
नही छुपाने लगता खुश्बू को,
हम सब भी जानेगें
एक दिन
असलियत अपनी....

- यात्री

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